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Education Department  Durga Mahavidyalaya Education Department  Durga Mahavidyalaya

Education Department Durga Mahavidyalaya - PowerPoint Presentation

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Uploaded On 2022-06-07

Education Department Durga Mahavidyalaya - PPT Presentation

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Presentation Transcript

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Education Department

Durga Mahavidyalaya

Dr Iti Banerjee

Slide2

भाषा एवं मातृभाषा हिंदी की आवश्यकता एवं महत्त्व

भाषा

भाषा में सृजन की अनंत संभावनाएं हैं| भाषा के उपयोग की योग्यता मनुष्य को दूसरे प्राणियों से अलग करती है| अपने विचारों को दूसरे को समझाने का और दूसरों की बातों को समझने का माध्यम भाषा है अर्थात विचारों की अभिच्यक्ति और समझने का माध्यम ही भाषा कहलाती है| भाषा के विकास में निम्न तीन शक्तियां आधार हैं –

बुद्धि

विचार

चिंतन शक्ति

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परिभाषा

सुमित्रा नंदन पंत-

“ भाषा संसार का नादमय चित्र है ध्वनिमय स्वरूप है विश्व के ह्रदयतंत्री झंकार है | इनके स्वरों में भाषा अभिव्यक्त होती है|”

पतंजलि –

“भाषा वह व्यापार है जिससे हम वर्णात्मक या व्यक्त शब्दों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं|”

स्वीट –

“ भाषा ध्वनियों द्वारा मानव के विचारों की अभिव्यक्ति है|”

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भाषा की प्रकृति

भाषा मानव की विशेषता है|

भाषा

भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है जो किसी समाज द्वारा स्वीकृत ध्वनि संकेतों का समूह है|

भाषा

का अर्जन, विकास और प्रयोग तीनों ही समाज में होते हैं|

भाषा

का हस्तांतरण होता है| भाषा परम्परा से प्राप्त होने के साथ-साथ अर्जित भी करनी पड़ती है| सीखने से भाषा का अर्जन होता है|

भाषा

समाजीकरण का एक आयाम है| व्यक्ति जिस समाज में रहता है, उसकी भाषा सीखता है|

भाषा

मौखिक और लिखित प्रतीकों, शब्दों संकेतों व चिह्नों को समन्वित करती है|

भाषा

अनुकरण से सीखी जाती है| बालक माता-पिता, भाई-बहिन, अध्यापकों, पड़ोसियों तथा परिवार के अन्य वरिष्ठ सदस्यों का अनुकरण करता है|

मानव

एक से अधिक भाषा सीख सकता है|

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भाषा का महत्त्व

मनुष्य

जीवन में सबसे अधिक महत्त्व भाषा का है| उसने अब तक जो भी विकास किया है, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जो भी प्रगति की है वह भाषा के माध्यम से की है| भाषा व्यक्ति एवं समाज दोनों के विकास की आधारशिला है|

भाषा भावाभिव्यक्ति एवं विचार-विनिमय का साधन है|

भाषा सामाजिक व्यवहार एवं सामाजिक अंत:क्रिया का आधार है|

भाषा

मानव विकास का मूल आधार है| दांडी के अनुसार – यदि शब्द रूपी ज्योति इस संसार में प्रकाशित ना हुई होती तो तीनों लोक अज्ञानरुपी घने अन्धकार से परिपूर्ण रहे होते|

भाषा मानव के भाव, विचार, अनुभव एवं आकांक्षाओं को सुरक्षित रखती है|

भाषा

मानव सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान है|

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हिंदी भाषा

भाषा

के विभिन्न रूप है – मातृभाषा, मूल भाषा, संस्कृति भाषा, राष्ट्रीय भाषा, राष्ट्र भाषा, राज भाषा और अंतराष्ट्रीय भाषा | खड़ी बोली का परिनिष्ठ रूप ही हिंदी भाषा कहलाती है| जिसे हिंदी भाषी क्षेत्रों में मातृभाषा कहा जाता है| सभी भाषाओँ में जो भाषा सबसे अधिक सशक्त होती है, जिसका साहित्य सबसे अधिक समृद्ध होता है, जिस भाषा को देश में सबसे अधिक व्यक्ति प्रयोग करते हैं, जो जन भाषा और संपर्क भाषा के रूप में प्रयोग होती है, उसे राष्ट्रभाषा का पद दिया जाता है; जैसे हमारे देश में हिंदी को प्राप्त है| भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी आज सारे देश की भाषा है| हिंदी आज अपनी सभी क्षेत्रीय सीमाओं को तोड़ चुकी है| क्या पूरब क्या पश्चिम, क्या देश और क्या विदेश, सभी दिशाओं में गतिमान है| हिंदी एक जीवित और सशक्त भाषा है| इसका प्रचार-प्रसार बढ़ता जा रहा है| हिंदी एक सरल भाषा है, जिसके कारण इसका व्यवहार देश के कोने-कोने में हो रहा है|

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हिंदी भाषा की प्रकृति एवं विशेषताएँ

हिंदी के व्याकरणिक नियम प्राय: अपवाद रहित है इसलिए आसान है|

हिंदी की वर्णमाला दुनिया की सर्वाधिक व्यवस्थित वर्णमाला है| हिंदी की लिपि (देवनागरी) विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है|

मानक हिंदी भाषा ही देश की अधिकृत भाषा है जो विभिन्न स्थानों पर भी एक सुनिश्चित व् सुनिर्धारित रूप में मान्य होती है|

हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द है

|

हिंदी भाषा एक मात्र ऐसी भाषा है जिसके अधिकतर नियम अपवाद विहीन है|

हिंदी

भाषा देशी भाषाओँ एवं अपनी बोलियों आदि से शब्द लेने में संकोच नहीं करती| हिंदी के मूल शब्दों की संख्या ढाई लाख से अधिक है जबकि अंग्रेजी के मूल शब्द दस हजार है

|

हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है|

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हिंदी भाषा की आवश्यकता एवं महत्त्व

विचार

सम्प्रेषण का सरलतम

साधन

शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ

माध्यम

सामाजिक

विकास

संस्कृति के विकास में

सहायक

मानसिक बौद्धिक

विकास

व्यक्तित्व के विकास में

सहायक

राष्ट्रीयता का

विकास

आंतरिक गुणवत्ता में

सहायक

नागरिकता के गुणों का

विकास

ज्ञान का प्रसारण एवं

संरक्षण

छात्रों की सृजनात्मक क्षमता का विकास